बड़ा खुलासा – क्या सुशांत सिंह राजपूत के समर्थन में बोलने पर करियर पर पड़ता है असर?

टेलीविजन अभिनेत्री क्रिनन बैरेटो, जो ‘ससुराल सिमर का’ में नजर आ चुकी हैं, ने हाल ही में दिए इन्टरव्यू में खुलासा किया है कि उन्हें काम नहीं मिल रहा है और काम ना मिलने की वजह हैं उनके दिवंगत दोस्त सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput)। क्योंकि इस इन्टरव्यू में उन्होंने सुशांत की मौत के बारे में खुलकर बात की है, तब से कुछ प्रोडक्शन हाउस ने उन्हें काम देने से मना कर दिया।
क्रिनन बैरेटो ने एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में अगर कोई कलाकार अपने दोस्त की मृत्यु पर शोक व्यक्त करता है या सच्चाई सामने लाने की कोशिश करता है, तो उसे नेगेटिव इमेज के रूप में देखा जाता है। अभिनेत्री ने कहा, “अगर आप एक एक्टर हैं, तो आप अपने दोस्त के जाने का गम भी नहीं मना सकते। अगर आपके दोस्त का निधन हो जाता है और आप उसके बारे में बात कर रहे हैं, तो लोगों को लगता है कि आप बस ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि सुशांत केस पर बोलने के कारण उनके करियर को बड़ा झटका लगा और उनके माता-पिता भी इस फैसले से नाराज थे। क्रिनन ने कहा, “इस केस पर बात करना जोखिम भरा था, लेकिन मैंने अपने दोस्त के लिए ये किया।”
अब क्यों उठे सवाल?
क्रिनन बैरेटो की कहानी हिंदी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में नेपोटिज्म, लॉबिंग और निष्कासन (Boycott) की बहस को फिर से हवा देती है। अगर इसके मायने देखें तो कई तरह से इसके मायने निकाले जा सकते हैं। जिसमें सबसे पहला आता है – “इंडस्ट्री में बोलने की आज़ादी का डर”। क्रिनन के बयान से यह साफ जाहिर होता है कि इंडस्ट्री में सच का साथ देने वाले फिर सच बोलने वालों के लिए दरवाजे बंद हो सकते हैं। अगर कोई कलाकार इंडस्ट्री के “प्रभावशाली लोगों” के खिलाफ जाता है, तो उसे काम मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आपको ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे।
इसे इस रुप में भी देखा जा सकता है कि सुशांत सिंह के मामले में बहुत ही कम कलाकारों ने खुल कर बात की है और जिसने भी बात की है, उन्हें जबरदस्त ट्रोलिंग या फिर काम गंवाने का सामना भी करना पड़ा है। सुशांत की मौत के बाद से इंडस्ट्री में लॉबिंग पर सवाल उठने लगे। फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में यह आरोप हमेशा से रहे हैं कि कुछ चुनिंदा लोग तय करते हैं कि कौन काम करेगा और कौन नहीं। इसको लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। मुंबई में उनके दफ्तर को किस तरह से तोड़ा गया था, ये खबरें कई दिनों तक सुर्खियों में बनी रही। वहीं दूसरी ओरक्रिनन बैरेटो की कहानी इस ओर इशारा करती है कि बोलने की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
अब सौ बात की एक बात कि क्रिनन बैरेटो की यह आपबीती फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में एक बार फिर अभिनेताओं की स्वतंत्रता और लॉबिंग के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला सकती है। अगर कोई कलाकार किसी संवेदनशील विषय पर खुलकर बोलता है, तो उसे बदले में क्या झेलना पड़ता है, यह कहानी उसी की एक मिसाल है।