
People walk past a banner with flags of countries participating in G20 summit at the International Media Center (IMC) at G20 venue on the eve of the two-day G20 summit in New Delhi on September 8, 2023. (Photo by TAUSEEF MUSTAFA / AFP)
नई दिल्ली: 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। इसमें हिस्सा लेने के लिए अलग अलग देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि दिल्ली पहुंचे थे और सकारात्मक वातावरण में सकारात्मक बातचीत के साथ इसका सफलता के साथ समापन हुआ। जी 20 के इतर भारत ने तमाम देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसा बड़ा ऐलान भी इस शिखर सम्मेलन में हुआ। इसका आयोजन जिस भव्य तरीके से किया गया, इसे पूरी दुनिया ने देखा। लेकिन आयोजन के समापन के बाद से इसको लेकर विपक्षी आवाजें उठनी शुरु हो गईं।
विपक्ष ने बजट से ज्यादा खर्च करने का आरोप लगाया
जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन और नई दिल्ली के सौदर्यीकरण सबको मिलाकर करीब 4100 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जिसको लेकर विपक्ष ने अब मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने तय बजट से करीब 300 फीसदी ज्यादा खर्च किया है। हालांकि सरकार ने अपने जवाब में इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। दरअसल खर्च को लेकर आवाज ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की तरफ से उठाया गया है।
टीएमसी का क्या है आरोप?
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सांसद साकेत गोखले ने एक्स (Twitter) पर पोस्ट कर कहा है कि मोदी सरकार ने जी 20 पर बजट में आवंटित धनराशि से 300% ज्यादा खर्च किया है। उनका कहना है कि पिछले सेंट्रल बजट में जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए 990 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था, लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार ने इसके लिए 4100 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिया है। जो तय बजट से 300 फीसदी यानी 3110 करोड़ रुपए ज्यादा है। सांसद साकेट गोखले ने आरोप लगाया है कि ये पैसा कहां गया? उन्होंने तो यहां तक सवाल उठा दिया है कि बीजेपी (BJP) को ये अतिरिक्त 3110 करोड़ रुपए का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये स्पष्ट रुप से 2024 के चुनावों के लिए पीएम मोदी के सेल्फ एडवरटाइजमेंट और पर्सनल पीआर के लिए गैर-जरुरी खर्च था।
सरकार ने क्या दिया जवाब?
टीएमसी सांसद साकेत गोखले के इस आरोप के बाद सरकार ने भी उनके सवालों का जवाब दिया है। लेकिन उससे पहले सरकार के फैक्ट चेकिंग टीम प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इस फैक्ट को चेक किया और सरकार पर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया। पीआईबी के मुताबिक ये खर्च सिर्फ जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए नहीं था, बल्कि इसमें लॉन्ग-टर्म इन्फ्रास्ट्रक्चर औक एसेट्स में निवेश भी शामिल था।