
यह विश्लेषण इजराइल और ईरान के बीच की मौजूदा स्थिति के गहराई से परिचय देता है। हाल ही में हुए घटनाक्रमों में इजराइल ने ईरान पर सफल ऑपरेशन के माध्यम से हमला किया, जिससे ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं पर गहरा असर पड़ा। लेकिन इसके बावजूद, इजराइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पीछे धकेलने का एक महत्वपूर्ण मौका गंवा देने के रूप में भी देखा जा रहा है। इजराइल के इस निर्णय को लेकर काफ़ी सवाल उठाए जा रहे हैं।
अमेरिकी दबाव और इजराइल की प्रतिक्रिया
इजराइल पर अमेरिका का दबाव असाधारण रूप से अधिक था कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई बड़ा हमला न करे। बाइडेन प्रशासन ने इजराइल को THAAD मिसाइल रक्षा प्रणाली उधार देने और अन्य हथियार उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया, साथ ही यह भी संकेत दिया कि यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर होती है, तो कुछ हथियारों के ट्रांसफर पर भी सहमति बन सकती है। यह स्थिति तब और पेचीदा हो गई जब अमेरिका ने इजराइल को धमकी के स्वर में चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इजराइल ने इस बड़े अवसर को हाथ से जाने दिया है।
परमाणु कार्यक्रम पर हमला करने के लिए इजराइल के पास मजबूत आधार
ईरान ने अप्रैल और फिर अक्टूबर में इजराइल पर सीधे हमले किए, जिससे इजराइल के पास ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर हमले का एक मजबूत आधार बन सकता था। कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह इजराइल के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पीछे धकेलने का सबसे अच्छा मौका था। लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी प्रतिक्रिया को सीमित रखते हुए सिर्फ कुछ चुनिंदा ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक्स तक सीमित रखा। यह भी माना जा रहा है कि यह प्रतिक्रिया ईरान के तीसरे हमले को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
अमेरिकी रक्षा तंत्र की प्रभावशीलता और खतरे का आकलन
इजराइल के पास एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो पहले तक अनिश्चित माना जाता था। हालांकि, हालिया घटनाओं के बाद, इस सिस्टम ने इजराइल को काफी सुरक्षित महसूस कराया है और ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम साबित हुआ है। इसके साथ ही, ईरान के अन्य प्रॉक्सी जैसे हिज्बुल्लाह और हमास के पास इजराइल पर व्यापक नुकसान पहुंचाने की क्षमता अब उतनी नहीं रह गई है, जितनी पहले मानी जाती थी। हमास को कमजोर किया जा चुका है, और हिज्बुल्लाह के रॉकेट खतरे को भी सीमित कर दिया गया है।
ईरान पर परमाणु ठिकानों के हमले की रणनीति
इजराइल के लिए ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला करने का जोखिम अब पहले की अपेक्षा कम है। अगर इजराइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करता, तो वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई वर्षों पीछे धकेल सकता था। हालांकि, ईरान के पास इस कार्यक्रम को फिर से पुनः निर्मित करने का विकल्प है, फिर भी इजराइल के पास उन ठिकानों को दुर्गम बनाने की क्षमता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि भविष्य में फिर से ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, तो इजराइल उसे रोकने के लिए दोबारा हमला कर सकता है।
क्या इजराइल ने बड़ा मौका खो दिया?
अब इजराइल में सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी दबाव में आकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला करने का एक सुनहरा अवसर खो दिया है? यह भी कहा जा रहा है कि अगर इजराइल इस मौके का फायदा उठाता, तो वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लंबी अवधि के लिए हानि पहुंचा सकता था।