क्या नियम और संविधान के विरुद्ध जाकर कांग्रेस ने पूरे देश में रद्द करवाए थे लोकसभा चुनाव?

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नई दिल्ली: देश में लोकसभा के 5 चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और अब मात्र 2 चरण के चुनाव होने बांकि रह गए हैं जो कि 25 मई और 1 जून को होने वाले हैं और 4 जून को इसके नतीजे भी आ जाएंगे। लेकिन इसी बीच चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग और सरकार पर हमलावर है। लेकिन इसी बीच इसको लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ी और विपक्ष को करारा जवाब दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के कहने पर चुनाव आयोग ने चुनाव को रद्द कर दिए थे। ये बात पीएम मोदी ने एक निजी चैनल को दिए गए इन्टव्यू में कहा है। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद अब सोशल मीडिया पर इसको लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। इसके लेकर एक एक्स यूजर ने कुछ अखबारों की कटिंग की फोटो शेयर की है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस के कहने पर पूरे देश में चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग के नियम के तहत अगर चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार का निधन हो जाता है तो सिर्फ उस लोकसभा सीट के चुनाव को रद्द किया जाता है और फिर कुछ समय बाद उस पर चुनाव करवाए जाते हैं। सिर्फ एक सीट के लिए पूरे देश में चुनाव स्थगित करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के दवाब में चुनाव आयोग को पूरे देश में लोकसभा चुनाव को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था। उस वक्त टी.एन.शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे।

आपको ये भी बता दें कि कांग्रेस की इस कदम का विरोध 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी किया था। उन्होंने साफ कहा था कि ये संविधान के खिलाफ है और चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ भी है। अब चूकि मुख्य चुनाव आयोग कांग्रेस के फेवरेट थे तो शेषन साहब ने कांग्रेस के साथ अपनी वफादारी निभाई और चुनाव की तारीखों को तीन सप्ताह पीछे धकेल दिया था और इसका फायदा कांग्रेस ने बड़े आराम से उठाया। राजीव गांधी की हत्या से पहले कांग्रेस की हालत थोड़ी खराब थी और परिणाम बेहतर नहीं होने वाले थे।

इस तीन सप्ताह का उपयोग कांग्रेस ने सहानुभूति वोट हासिल करने के लिए किया। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तभी छोटे थे तो चुनाव प्रचार के लिए मंच पर उनके चेहरे को सामने किया गया और फिर नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस को सहानुभूति वोट मिला और कांग्रेस फिर से सत्ता में आई। तात्कालिक चुनाव आयुक्त टी.एन शेषन को इसका इनाम भी दिया गया और उन्हें लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया।

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