हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ़्तार, भारत प्रत्यर्पण में हो सकती हैं कई अड़चनें

नई दिल्ली/ब्रसेल्स: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य अभियुक्त और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ़्तार कर लिया गया है। ऑल इंडिया रेडियो और पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुरोध पर शनिवार को की गई। चोकसी की गिरफ्तारी भारत सरकार के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, लेकिन उन्हें भारत लाना अब भी एक लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रिया हो सकती है।
क्या है मामला?
2018 की शुरुआत में सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक में करीब 13,500 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था। इस मामले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उनके चाचा मेहुल चोकसी, पत्नी एमी मोदी और भाई निशाल मोदी को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। आरोप है कि इन लोगों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के ज़रिए इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया। नीरव मोदी इस समय लंदन की जेल में बंद हैं और भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं मेहुल चोकसी कई सालों से कैरेबियाई देश एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता लेकर वहां रह रहे थे, लेकिन हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने बेल्जियम के एंटवर्प में निवास स्थान बना लिया था और “एफ़ रेज़िडेंसी कार्ड” भी प्राप्त कर लिया था।
प्रत्यर्पण में क्या हो सकती हैं मुश्किलें?
हालांकि भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, लेकिन कानूनी जानकारों के मुताबिक मेहुल चोकसी बेल्जियम में जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं और भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अदालत में लंबी कानूनी लड़ाई शुरू कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, चोकसी की लीगल टीम उनकी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को आधार बनाकर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को चुनौती देने की योजना बना रही है। मुंबई की एक अदालत में दिए हलफनामे में उन्होंने दावा किया था कि वे ल्यूकीमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित हैं और चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भारत यात्रा करने में “100 प्रतिशत अक्षम” हैं। उनके द्वारा बेल्जियम के एक डॉक्टर की रिपोर्ट भी सौंपी गई थी।
बेल्जियम सरकार की प्रतिक्रिया
बेल्जियम की फ़ेडरल पब्लिक सर्विस फ़ॉरेन अफ़ेयर्स के प्रवक्ता डेविड जॉर्डन्स ने एएनआई को दिए बयान में पुष्टि की कि चोकसी की मौजूदगी और गिरफ्तारी से संबंधित घटनाक्रम पर सरकार की नजर बनी हुई है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह मामला एफपीएस जस्टिस के अधिकार क्षेत्र में आता है और इस पर कोई विशेष टिप्पणी नहीं की जा सकती।
भारत की तैयारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI पहले ही चोकसी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी हैं और अदालतों में कई मुकदमे लंबित हैं। अब भारत सरकार बेल्जियम से औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजेगी और यह कोशिश करेगी कि चोकसी को जल्द से जल्द भारत लाया जाए ताकि वह अदालत में पेश हो सके और मामले की सुनवाई शुरू हो। हालांकि यह स्पष्ट है कि चोकसी के पास कई कानूनी विकल्प हैं जिनके ज़रिए वे प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लंबे समय तक टाल सकते हैं, जैसा कि उनके भांजे नीरव मोदी के मामले में देखा गया है।
हालांकि मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारत के लिए एक अहम उपलब्धि मानी जा रही है, लेकिन देखा जाय तो अभी लड़ाई आधी जीती गई है। आने वाले हफ्तों और महीनों में यह स्पष्ट होगा कि भारत सरकार, बेल्जियम की न्यायिक व्यवस्था और चोकसी की कानूनी टीम के बीच यह मामला किस दिशा में बढ़ेगा।