
कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ सियालदह कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए हैं। इस घटना ने पश्चिम बंगाल में चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है, और संजय रॉय के खिलाफ मुकदमा 11 नवंबर से शुरू होगा।
संजय रॉय ने आरोपों को बताया ‘झूठा’
सियालदह कोर्ट में पेशी के दौरान, संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। जब उसे कोर्ट से बाहर ले जाया गया, तो उसने मीडिया से कहा, “मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने जज को बताया कि मैं निर्दोष हूं, लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी।” रॉय का दावा है कि वह घटना के समय निर्दोष था, और उसे इस मामले में गलत तरीके से घसीटा गया है।
सीबीआई की जांच और चार्जशीट
पश्चिम बंगाल सरकार की सिफारिश पर इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई थी। सीबीआई ने एक महीने पहले ही 7 अक्टूबर को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई का दावा है कि 11 प्रमुख सबूतों के आधार पर संजय रॉय की संलिप्तता सिद्ध होती है। इन सबूतों में मौखिक बयान, दस्तावेज, फॉरेंसिक साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज शामिल हैं। सीसीटीवी फुटेज और फोन रिकॉर्ड्स से यह पता चलता है कि घटना की रात 8-9 अगस्त को संजय रॉय तीसरे फ्लोर पर मौजूद था, जहां अपराध हुआ।
सह-अभियुक्तों की गिरफ्तारी और साजिश के आरोप
सीबीआई ने संजय रॉय के साथ ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और एक अन्य आरोपी अभिजीत मंडल को भी साजिश रचने और सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सीबीआई का आरोप है कि इन दोनों ने साजिश रचकर मामले के अहम सबूतों में हेरफेर की कोशिश की। जांच एजेंसी का मानना है कि इन सह-अभियुक्तों ने संजय रॉय को बचाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ की।
सियालदह कोर्ट में इन-कैमरा ट्रायल की शुरुआत
सियालदह कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इन-कैमरा ट्रायल का निर्णय लिया है। यह ट्रायल 5 नवंबर से हफ्ते में चार दिन चलेगा, जिसमें सबूतों और गवाहों का परीक्षण इन-कैमरा किया जाएगा। इस तरह की कार्यवाही में मीडिया और जनता को प्रवेश नहीं दिया जाएगा, ताकि गवाहों की सुरक्षा और जांच की गोपनीयता बनी रहे।
संभावित सजा: दोष सिद्ध होने पर हो सकती है मौत की सजा
सियालदह कोर्ट में संजय रॉय के खिलाफ रेप और मर्डर जैसे संगीन अपराधों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अगर रॉय को दोषी पाया जाता है, तो उसे मौत की सजा भी हो सकती है। भारतीय न्याय संहिता के तहत इन अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है, जो न्याय प्रणाली की गंभीरता को दर्शाता है।
रॉय के वकील करेंगे आरोपों को चुनौती
संजय रॉय के वकील ने संकेत दिया है कि वे सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों को चुनौती देंगे। उनका तर्क है कि संजय रॉय को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और सबूतों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाएंगे। रॉय के वकील का दावा है कि घटना के दौरान संजय वहां मौजूद नहीं था, और सीसीटीवी और फोन रिकॉर्ड्स में दिखाए गए तथ्यों की पुनःजांच की आवश्यकता है।
घटना की पृष्ठभूमि और सुरक्षा पर सवाल
यह मामला कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के ट्रेनी डॉक्टर की मौत से जुड़ा है, जिसकी दर्दनाक हत्या और रेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह घटना एक बार फिर मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। इसके बाद से ही बंगाल में सुरक्षा व्यवस्था और अस्पताल परिसरों में मौजूद सीसीटीवी और अन्य सुरक्षा उपायों की भी समीक्षा की मांग उठ रही है।
संजय रॉय पर लगाए गए आरोपों ने पश्चिम बंगाल में चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सुरक्षा की चिंताओं को बढ़ा दिया है। सियालदह कोर्ट में चल रहे इस मामले की कार्यवाही और सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों पर निगाहें टिकी हैं। अदालत का निर्णय यह तय करेगा कि संजय रॉय दोषी हैं या निर्दोष, लेकिन इस मामले ने न्याय प्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न चिह्न जरूर लगा दिया है।