
राहुल गांधी इन दिनों अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं और उनकी ये यात्रा बिहार में है। मंगलवार को उनकी यात्रा बिहार के पूर्णियां में थी, जहां उन्होंने एक जनसभा को संबोधित भी किया। मैं पूर्णियां से हूं इसलिए यहां के राजनीतिक समीकरण को भी समझता हूं। पूर्णियां में सांसद नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से हैं तो विधायक बीजेपी से। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस जिले में किसका वोट बैंक ज्यादा होगा।
कांग्रेस यहां पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है और इसका जीता जागता उदाहरण है जिला कांग्रेस कमेटी का गोकुल कृष्ण आश्रम में स्थित दफ्तर, जो ना जाने कितने साल से जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है। मतलब यहां ये कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की जनसभा में उनको सुनने या फिर यूं कहें कि उनके देखने के लिए जितने लोग गए थे उनमें से करीब करीब 80 से 85 फीसदी लोग उनके विरोधी पार्टी के वोट बैंक थे। अब चूकि राहुल जी कांग्रेस के युवराज हैं और राष्ट्रीय दल के बड़े नेता हैं और उनकी इमेज एक सेलिब्रिटी की है तो लोगों का उनकी जनसभा में पहुंचना लाजमी था।
ख़ैर…बात मुद्दे की कर लेते हैं। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि आज कोई उद्योगपति या फिर न्यूज चैनल या फिर अखबार का मालिक ओबीसी या फिर पिछड़ी जाति का नहीं है। ये बात सच भी है। मैं ये नहीं कहूंगा कि मौजूदा सरकार उनके लिए क्या कर रही है और क्या नहीं कर रही है। लेकिन देश की जनता का ध्यान मैं इस ओर जरुर आकर्षित करना चाहूंगा कि इस देश में 60 साल से ज्यादा का शासन कांग्रेस का रहा है। 2014 में मौजूदा सरकार ने सत्ता संभाला था लेकिन उससे पहले देश में कांग्रेस की ही सरकार थी।
राहुल जी ने ये तो गिनवा दिया कि कोई भी ओबीसी या फिर पिछड़ी जाति का नहीं है लेकिन वो जोश जोश में शायद भूल गए कि पिछली सरकार ने अगर इस ओर काम किया होता तो ये तय था कि मौजूदा सरकार के दौरान कोई ना कोई उद्योगपति पिछड़ी जाति या फिर ओबीसी से जरुर होता। अब इसमें सोचने की भी कोई बात नहीं है क्योंकि राहुल जी बिना सोचे समझे कुछ बोलने के लिए तो पहले से ही मशहूर हैं। 2014 के बाद से कांग्रेस लगातार गिरती जा रही है। अगर पिछला रिकॉर्ड भी देखें तो कांग्रेस ने जिस भी पार्टी के साथ गठबंधन किया उसी पार्टी के बेरा गर्क हो गया। समाजवादी पार्टी में दो लड़कों का आपस में हाथ मिलाना इसका जीता जागता उदाहरण है। कांग्रेस के हाथ मिलाने के बाद से अखिलेश की समाजवादी पार्टी अभी तक नहीं उठ पाई है।
मेरा तो यही मानना है कि जिन जिन बातों का इल्जाम राहुल गांधी अभी मौजुदा सरकार पर लगा रहे हैं, अगर उनकी सरकार ने इन सब का 10 फीसदी भी काम किया होता तो शायद राहुल गांधी को इस कड़ाके की ठंड में सफेद टी-शर्ट पहन कर भारत जोड़ो यात्रा या फिर भारत जोड़ों न्याय यात्रा करने की जरुरत नहीं पड़ती। राहुल गांधी जी को मेरी सलाह यही है कि दूसरी सरकार को कोसने के बदले उनकी पार्टी हर चुनाव में क्यों गर्त में जा रही है, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, जिनकी अब पार्टी में कोई इज्जत नहीं है, उनके साथ बैठ कर चर्चा करनी चाहिए। इसका एक जीता जागता उदाहरण पूर्णियां में भी देखने को मिला। पूर्णियां में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदू सिन्हा हैं। जिले में संगठन को खड़ा करने के लिए उनकी मेहनत को मैंने अपनी आंखों से देखा है, लेकिन उन्हें शायद मंच पर जगह तक नहीं दी गई। हालांकि मैंने तो उन्हें मंच पर नहीं देखा, अगर आपलोगों ने देखा हो तो अपने इस शब्द के लिए माफी चाहता हूं।
आखिर में मैं यही कहूंगा कि राहुल बाबा आपको भारत जोड़ो यात्रा से मदद नहीं मिलेगी बल्कि आप बीजेपी की राह को ही आसान बना रहे हो। आपको चाहिए कि आपकी पार्टी ने जिन वरिष्ठ नेताओं को हासिए पर भेज दिया है, उनको साथ लेकर चले और अपने संगठन को एक बार फिर से मजबूत बनाए। सरकार को कोस कर कुछ नहीं होगा। देश की जनता पढ़ी लिखी है, आपकी पार्टी और सरकार के घोटालों से त्रस्त आ चुकी है। जनता जागरुक हो चुकी है। वक्त है..संभल जाइए…वरना कांग्रेस जिसने इतिहास बनाया है, वो खुद इतिहास बन कर रह जाएगा।