Bihar Election 2025: छठ महापर्व के समापन के साथ बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज़ हो गई है। राहुल गांधी 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर और दरभंगा में जनसभाएं करेंगे। महागठबंधन और एनडीए दोनों ने प्रचार में झोंकी ताकत।
पटना: छठ महापर्व के समापन के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान अब पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग गया है और इसने तेज रफ्तार पकड़ ली है। पहले चरण के मतदान में केवल दस दिन शेष होने के कारण सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने राज्यभर में अपनी रैलियों और जनसभाओं की शुरुआत कर दी है। उम्मीदवार और राजनीतिक दल मतदाताओं तक पहुंचने के लिए अंतिम चरण के इस महत्वपूर्ण दौर में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
महागठबंधन का घोषणापत्र और स्टार प्रचारक
चुनावी गहमागहमी के बीच, पटना में आज महागठबंधन (कांग्रेस-राजद गठबंधन) द्वारा अपना घोषणापत्र जारी किए जाने की संभावना है। उम्मीद है कि इस घोषणापत्र में मुख्य रूप से रोजगार सृजन, बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण, शिक्षा में सुधार और किसानों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर बड़े वादे किए जाएंगे। इसी क्रम में, महागठबंधन के लिए एक बड़ी राजनीतिक एंट्री होने जा रही है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 29 अक्टूबर को बिहार में अपनी पहली चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ के अनुसार, राहुल गांधी मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र और दरभंगा में महागठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाएं करेंगे। इन सभाओं में उनके साथ आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मंच साझा करेंगे।
एनडीए का अभियान और आरके सिंह का संदेश
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) भी अपने प्रत्याशियों के समर्थन में बड़े स्तर पर जनसभाओं की तैयारी में जुटा है। इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह (आरके सिंह) ने बिहार के मतदाताओं को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने छठ पर्व की शुभकामनाओं के साथ देशवासियों से अपील की कि यह चुनाव बिहार के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए वे केवल ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार को ही वोट दें। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर सभी उम्मीदवार भ्रष्ट या आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं, तो मतदाता अपना वोट ‘नोटा’ (NOTA) को दें।
आरके सिंह ने महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की शिक्षा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कम पढ़े-लिखे व्यक्ति के लिए प्रदेश का नेतृत्व करना कठिन होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री का पढ़ा-लिखा होना प्रदेश के विकास के लिए जरूरी है।
निर्णायक दौर में प्रचार की दिशा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छठ पूजा के बाद शुरू हुआ यह चरण चुनाव प्रचार का सबसे निर्णायक और संवेदनशील दौर साबित होगा। इस अवधि में नेताओं की भाषा, उनके द्वारा किए गए वादे और जनता को दिए गए संदेशों पर मतदाताओं की विशेष नज़र रहेगी, जो मतदान की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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