
दिल्ली ब्यूरो | नई दिल्ली
जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजधानी की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं, कांग्रेस भी इस चुनावी मुकाबले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की पूरी कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री ने ‘आप‘ को बताया ‘आप-दा‘
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के अशोक विहार में 3 जनवरी को बीजेपी के चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया और ‘आप’ पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने ‘आप’ की आलोचना करते हुए कहा, “पिछले 10 वर्षों से दिल्ली एक बड़ी ‘आप-दा’ से घिरी हुई है। अन्ना हजारे के आंदोलन का मुखौटा लगाकर कुछ कट्टर बेईमानों ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया।”
‘शीशमहल‘ बनाम ‘राजमहल‘ की राजनीति
बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च करने को लेकर ‘शीशमहल’ का आरोप लगाया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक लीक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री आवास के रेनोवेशन पर 8 करोड़ से 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें 96 लाख रुपये के पर्दे, 66 लाख का संगमरमर, 39 लाख के किचन उपकरण और 16 लाख के रेशमी कालीन शामिल हैं।
आप ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री आवास के खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। पार्टी ने पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री के निवास पर 2,700 करोड़ रुपये खर्च होने का मुद्दा उठाया और इसे ‘राजमहल’ करार दिया।
आबकारी नीति विवाद की आंच
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर भी ‘आप’ सवालों के घेरे में है। आरोप है कि बतौर आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब विक्रेताओं को लाइसेंस देने के बदले कमीशन लिया। मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट के बाद उप राज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। इसके बाद सिसोदिया समेत कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए गए।
अक्टूबर 2023 में पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पहले से जेल में बंद पूर्व गृह मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी ने आप की स्थिति को और कमजोर कर दिया। मार्च 2024 में केजरीवाल को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में सभी नेताओं को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
राजनीतिक समीकरण और चुनौतियां
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से ‘आप’ की छवि को नुकसान हुआ है। इन चुनावों में ‘आप’ के लिए पिछली बार की 67 सीटों के मुकाबले 45-50 सीटें जीतना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि बीजेपी पूरी ताकत से आप को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन आप ने हर बार अपनी तीव्र पलटवार क्षमता का परिचय दिया है। ‘शीशमहल’ बनाम ‘राजमहल’ की रणनीति इसका एक उदाहरण है।
क्या कहते हैं मतदाता?
चुनावी माहौल में मतदाताओं के बीच भी सरकार के कामकाज और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ मतदाता जहां सरकारी योजनाओं से संतुष्ट हैं, वहीं कई लोग स्थानीय विधायकों के कामकाज को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, दिल्ली की राजनीति और गर्म होती जा रही है। ‘आप’, ‘बीजेपी’ और कांग्रेस के बीच यह चुनावी मुकाबला न केवल दिलचस्प बल्कि कई महत्वपूर्ण राजनीतिक समीकरणों को बदलने वाला साबित हो सकता है।