Kundarki ByElections: 33 साल बाद बीजेपी का ऐतिहासिक उलटफेर, सपा को करारा झटका
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव (Kundarki Byelection) में बीजेपी (BJP) ने 33 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया। 65% मुस्लिम वोटरों वाले इस क्षेत्र में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी (SP) को कड़ी टक्कर दी और बड़ी बढ़त के साथ जीत की ओर बढ़ रही है। बीजेपी के उम्मीदवार ठाकुर रामवीर सिंह, सपा के हाजी रिज़वान को पछाड़ते हुए जीत गए हैं।

रामपुर मॉडल से बनी रणनीति

बीजेपी की इस जीत को रामपुर उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 2022 में रामपुर में भी बीजेपी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र में अप्रत्याशित जीत हासिल की थी। 55% मुस्लिम वोटरों वाले रामपुर में मतदान प्रतिशत कम रहने के बावजूद बीजेपी ने सपा के किले को ध्वस्त कर दिया था। इसी मॉडल को कुंदरकी में दोहराया गया, जहां इस बार 57.7% मतदान हुआ।

मुस्लिम वोटों का बंटवारा

कुंदरकी में 70,000 तुर्क मुसलमान वोटर हैं। सपा के हाजी रिज़वान तुर्क समुदाय से थे, लेकिन गैर-तुर्क मुस्लिम मतदाताओं ने उनका साथ नहीं दिया। इसके अलावा, कुंदरकी में 12 उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया। सपा को यह भारी पड़ा।

सपा की गुटबाजी और एंटीइंकंबेंसी

सपा के भीतर गुटबाजी और लोकल नेताओं के बीच तालमेल की कमी हार का मुख्य कारण बनी। पार्टी के नेता मोहिबुल्लाह नदवी और रूचिवीरा के बीच मनमुटाव के कारण हाजी रिज़वान को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। इसके अलावा, सपा के खिलाफ एंटीइंकंबेंसी भी असरदार रही।

बीजेपी की बदली रणनीति

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से बचते हुए चक्रव्यूह रचा। बीजेपी के उम्मीदवार ठाकुर रामवीर सिंह ने मुस्लिम समुदाय के साथ बेहतर संबंध बनाए। चुनाव प्रचार के दौरान उनका नमाज़ी टोपी पहनकर मुस्लिम वोटरों से संवाद करना और अल्लाह की कसम दिलाना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना। इससे उनकी सकारात्मक छवि बनी और मुस्लिम समाज का समर्थन भी मिला।

कुंदरकी की जीत का महत्व

कुंदरकी सीट पर 1993 के बाद से बीजेपी कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। लेकिन इस बार की जीत ने यह साबित कर दिया कि बीजेपी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

सपा के लिए कड़ा सबक

कुंदरकी में सपा की हार अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका है। पार्टी को अब गुटबाजी पर लगाम लगाने और स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। बीजेपी की यह जीत न केवल राजनीतिक समीकरणों को बदलने वाली है, बल्कि यह संकेत देती है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी ने नई रणनीतियों के साथ समाजवादी पार्टी को चुनौती देने की तैयारी कर ली है।

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