
नई दिल्ली: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की आबकारी नीति और शराब आपूर्ति तंत्र में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी रही, जिससे सरकार को लगभग ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ है।
कैसे हुआ घाटा?
CAG रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली सरकार की शराब नीति में कई अनियमितताएं और लापरवाह फैसले लिए गए, जिससे सरकार को भारी राजस्व घाटा हुआ।
- ₹941.53 करोड़ का नुकसान – कई जगहों पर खुदरा शराब की दुकानें नहीं खुलने के कारण
- ₹890 करोड़ का घाटा – सरेंडर किए गए लाइसेंसों की दोबारा नीलामी न करने की वजह से
- ₹144 करोड़ की छूट – कोविड-19 का बहाना बनाकर शराब कारोबारियों को दी गई
- ₹27 करोड़ का नुकसान – शराब कारोबारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि न लेने के कारण
लाइसेंस जारी करने में नियमों का उल्लंघन
CAG की रिपोर्ट में पाया गया कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने में नियमों का पालन नहीं किया। दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के अनुसार, एक ही व्यक्ति या कंपनी को एक से अधिक प्रकार के लाइसेंस नहीं दिए जा सकते, लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियों को एक साथ थोक, खुदरा और होटल-रेस्तरां लाइसेंस दिए गए।
इसके अलावा, कई मामलों में आबकारी विभाग ने बिना जरूरी जांच किए ही लाइसेंस जारी कर दिए। कंपनियों के वित्तीय स्थिरता, बिक्री रिकॉर्ड, कीमतों और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच नहीं की गई, जिससे नीति के दुरुपयोग और कार्टेल बनने की संभावना बढ़ गई।
शराब की कीमतों में हेरफेर
CAG रिपोर्ट के अनुसार, थोक विक्रेताओं को शराब की कीमत तय करने की स्वतंत्रता दी गई, जिससे कीमतों में हेरफेर हुआ। एक ही कंपनी ने अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमतों पर शराब बेची, जिससे सरकार को उत्पाद शुल्क के रूप में नुकसान हुआ। सरकार ने कंपनियों की लागत मूल्य की जांच नहीं की, जिससे मुनाफाखोरी और कर चोरी को बढ़ावा मिला।
गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि दिल्ली में बिकने वाली शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में आबकारी विभाग नाकाम रहा। नियमों के तहत थोक विक्रेताओं को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार गुणवत्ता जांच रिपोर्ट जमा करनी होती है, लेकिन 51% मामलों में विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट या तो एक साल से पुरानी थी या उपलब्ध ही नहीं थी।
कैबिनेट की मंजूरी के बिना नीति में बदलाव
CAG रिपोर्ट के अनुसार, नई आबकारी नीति 2021-22 में कई खामियां पाई गईं। सरकार ने निजी कंपनियों को थोक व्यापार का लाइसेंस देने का निर्णय लिया और सरकारी कंपनियों को बाहर कर दिया। यह महत्वपूर्ण बदलाव बिना कैबिनेट की मंजूरी के किए गए, जिससे सरकारी खजाने को ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ।
CAG ने दिए यह सुझाव
CAG ने दिल्ली सरकार को आबकारी नीति में पारदर्शिता और सख्ती लाने के लिए कई सुझाव दिए हैं:
- लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और सभी नियमों का कड़ाई से पालन हो।
- शराब की कीमत तय करने की प्रक्रिया पारदर्शी हो ताकि मुनाफाखोरी और कर चोरी रोकी जा सके।
- गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त बनाया जाए ताकि नकली और मिलावटी शराब की बिक्री न हो।
- आधुनिक तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाए ताकि शराब की तस्करी रोकी जा सके।
- सरकार को हुए वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी तय की जाए और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों से बचने के उपाय किए जाएं।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
CAG रिपोर्ट के खुलासे के बाद अब सबकी नजर इस पर है कि दिल्ली सरकार क्या कदम उठाती है। रिपोर्ट में उजागर खामियों को देखते हुए आबकारी नीति में बड़े सुधार की जरूरत बताई जा रही है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।