
नई दिल्ली: देश में जब कोई बड़ा ग्लोबल आयोजन होता है तो ये मौका होता है दुनिया को अपनी ताकत दिखाने का, अपनी कला, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का और साथ ही हमारे देश में जो जन कल्याण योजनाएं चल रही हैं, उसके बारे में दुनिया को बताने का। हमारे देश में 2020 के बाद फिर से एक बड़ा ग्लोबल आयोजन G20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। दुनिया के 20 देशों से राष्ट्राध्यक्ष, प्रतिनिधि और कारोबारी नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। सभी अतिथियों के स्वागत के लिए दिल्ली पूरी तरह से तैयार है। ठीक उसी तरह से जैसे 2020 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था। दिल्ली की सूरत तभी भी बदली थी, लेकिन तब काफी काम अधूरे रहे, घोटाले हुए। कई जगहों पर दुनिया के सामने भारत की किरकिरी भी हुई। लेकिन 2023 में दिल्ली की फीजा बिल्कुल अलग है।
2023 में एनडीए सरकार ने दिखाया भारत का दम
देशभर में G20 की तैयारियों महीनों से चल रही थी। पिछले साल दिसंबर में जब भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिली थी तो उसके बाद से ही देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, मतलब देश के कोने कोने में इस शिखर सम्मेलन को लेकर कई कार्यक्रम हुए। विदेशी मेहमानों ने भारत की संस्कृति, परंपरा और देश की विविधता में एकता की झलकियों को करीब से देखा और देश भर के अलग अलग व्यन्जनों का स्वाद चखा। जिस वक्त भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिली, तभी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कह दिया था कि भारत की जी 20 अध्यक्षता का इस्तेमाल “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। भारत ने ग्रीन डेवलपमेंट से लेकर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को अपनी G20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में गिनाया था।
2020 में यूपीए सरकार ने की देश की छवि खराब
लेकिन ऐसा ही एक आयोजन 2020 में भी हुआ था। जब एक बार फिर सारे कॉमनवेल्थ देश के खिलाड़ियों का मजमा इसी दिल्ली शहर में लगा था। तब सरकार यूपीए की थी और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। लेकिन सर्वेसर्वा खुद सोनिया गांधी थी। मौका तब भी था दुनिया को अपनी ताकत दिखाने का। उस वक्त दुनियाभर के 71 देशों के 4352 खिलाड़ियों ने कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा लिया था। लेकिन सरकार ने इसका मौका नहीं उठाया, बल्कि घोटालों के कारण देश की छवि ऐसी बदनाम हुई कि लोगों ने मान लिया था कि देश में अब कोई भी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम कराने की क्षमता नहीं बची है। हालांकि इससे पहले 1951 और 1982 में भारत में एशियन गेम्स हुए थे, लेकिन 2010 का राष्ट्रमंडल खेल उस समय तक दिल्ली में होने वाला सबसे बड़ा खेल आयोजन था। यूपीए काल में भ्रष्टाचार की कड़ी में कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटालों ने देश का सबसे ज़्यादा नुकसान किया।
सुरक्षा से लेकर हाइजीन तक, मजदूरों के भत्ते और उनकी स्थिति से लेकर काम में देरी तक, नलस्वाद के आरोपों से लेकर वेश्यावृत्ति में बढ़ोतरी के आरोपों तक – भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से कोई भी अच्छी खबर नहीं आई। जब जब G20 के जरिए भारत दुनिया को अपनी ताकत दिखा रहा है और अपनी संस्कृति से रूबरू करा रहा है।
कॉमनवेल्थ और G20 दोनों हैं बड़े ग्लोबल आयोजन
राष्ट्रमंडल खेल और G20 शिखर सम्मेलन, दोनों आयोजन हैं तो बड़े ग्लोबल आयोजन लेकिन दोनों का स्टेटस अलग अलग है। राष्ट्र मंडल खेल जहां एक ग्लोबल स्पोर्ट्स आयोजन हैं, तो वहीं G20 एक कूटनीतिक आयोजन है। लेकिन, दोनों में एक समानता है कि दोनों वैश्विक कार्यक्रम थे। अगर उस समय की सरकार ने सही इरादे दिखाए होते तो उसका इस्तेमाल भी भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने के लिए किया जा सकता था। इसका एक बड़ा कारण ये था कि यूपीए काल में सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर दिखाने के लिए भी कुछ नहीं था, लेकिन मोदी सरकार के पास योजनाओं का अंबार था।
खास बात तो ये है कि कॉमनवेल्थ गेम के समय करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए, लेकिन नतीजा क्या हुआ ये किसी से छिपा नहीं है। सरकार ने दावा किया था दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने का लेकिन दूर दूर तक ऐसा कुछ दिखा भी नहीं। यहां तक कि जहां खिलाड़ियों और मेहगमानों को रुकना था, वो तक बन कर तैयार नहीं हो पाया था। खुद ही सोचिए, जब वो यहां से गए होंगे तो भारत की क्या छवि लेकर अपने देश वापस लौटे होंगे। हैरान करने वाली बात तो ये है कि 2003 में ही इस बात पता चल चुका था कि 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन दिल्ली में किया जाएगा। तैयारियों की डेडलाइन्स को एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार बढ़ाई गई। लेकिन G20 शिखर सम्मेलन के दौरान दिसंबर 2022 में पता चला और सितंबर 2023 में इसका आयोजन भी हो रहा है और सारी तैयारियां भी समय रहते पूरी कर ली गई।
कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बेतहासा बजट
कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए सरकार ने 19500 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया था, लेकिन समय के साथ बजट में भी बढ़ोतरी होती गई और आखिर में ये वास्तविक बजट से तीन गुना ज्यादा हो गया। लेकिन हुआ क्या, ये सबको पता है। स्टेडियम के मरम्मत के नाम पर लाखों खर्च हुए। सड़कों पर गड्डे जस के तस थे। पानी की तरह पैसे वर्बाद किए। खेल गांव में इस्तेमाल होने वाले सामान के दामों में गजब को झोल किया गया। आपको ये जानकार हैरानी होगी, तात्कालिन खेल मंत्री मणिशंकर अय्यर ने इस खेल के असफल होने तक की कामना कर डाली थी। ताकि आगे से ऐसे खेलों का आयोजन भारत में ना हो। लेकिन जो बजट उस समय सरकार ने प्रस्तावित किया था, उससे कम कही कम बजट में चंद्रयान 3 चांद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया। सूर्य नमस्कार करने आदित्य एल 1 सूर्य की तरफ बढ़ रहा है और 200 करोड़ खर्च कर कोरोना की वैक्सिन बन गई और 100 से अधिक देशों को भी दे दी।
G20 के मौके को भारत सरकार ने खुब भुनाया
जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर दिल्ली को पूरी तरह से तैयार कर दिया गया, लेकिन घोटाले की एक खबर नहीं आई। इसी बहाने भारत ने अपने पर्यटन को भी खुब बढ़ावा दिया।टूरिज्म वर्किंग ग्रुप्स से लेकर फाइनेंस वर्किंग ग्रुप्स तक की बैठकें हुईं। भारत डिजिटल क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के बारे में भी लगातार दुनिया को इस मंच का इस्तेमाल कर के बता रहा है। भारत का सबसे हाईटेक कन्वेंशन सेंटर करीब 123 एकड़ में बनाया गया, लेकिन कोई विवाद नहीं। इसमें कर्नाटक के भगवान बसवेश्वर से प्रेरित होकर इसका नाम ‘भारत मंडपम’ रखा गया, नटराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई जो तमिलनाडु के चिदंबरम मंदिर के प्रमुख देवता हैं। 2700 करोड़ रुपए में बने इस परिसर के निर्माण में कहीं कोई घपले को लेकर आरोप तक नहीं लगे। पीएम मोदी ने मजदूरों को सम्मानित किया सो अलग, यहाँ मजदूरों को समस्या वाली कोई बात भी सामने नहीं आई।
G20 से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों को भारत के 50 से अधिक शहरों में आयोजित किया गया, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला। बड़ी बात ये है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के समय दिल्ली और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार थी। वहीं अभी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार है, जो LG और केंद्र सरकार के साथ विवादों के कारण ही चर्चा में रहती है। इसके बावजूद इंस्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कोई कोताही नहीं बरती गई। उप-राज्यपाल कह चुके हैं कि से के बाद भी विकास के ये कार्य जारी रहेंगे।
बड़ी बात ये है कि जिस कॉमनवेल्थ गेम्स में देश की छवि बिगड़ी थी, आज उसी कॉमनवेल्थ की सेक्रेटरी पैट्रिका स्कॉटलैंड G20 समिट के समय भारत की तारीफ कर रही है। उनका कहना है कि इससे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। यही नहीं, उन्होंने ISRO के ‘चंद्रयान 3’ और ‘आदित्य L1’ मिशन की भी प्रशंसा की। साथ ही डिजिटल क्रांति को लेकर भी भारत की वो कायल हैं। उन्होंने कहा कि भारत अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रहा है।