
नई दिल्ली: पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह (Yuvraj Singh) की संस्था ‘यू वी कैन’, (YouWeCan) जो ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य करती है, एक विवादास्पद विज्ञापन के चलते विवादों में आ गई है। दिल्ली मेट्रो में प्रकाशित इस विज्ञापन ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। विज्ञापन में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को समझाने के लिए महिला के ब्रेस्ट की तुलना एक संतरे से की गई थी, और संदेश में लिखा था, “चेक यूअर ऑरेंज वन्स इन अ मंथ” (महीने में एक बार अपने संतरे की जांच करें)। इस क्रिएटिव एप्रोच को लेकर लोगों ने मिलेजुले रिएक्शन दिए, कुछ ने इसे जागरूकता बढ़ाने का तरीका बताया तो कुछ ने इसे असंवेदनशील करार दिया।
सोशल मीडिया पर विवाद
बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पत्रकार रितुपर्णा चटर्जी ने दिल्ली मेट्रो में लगे इस विज्ञापन की तस्वीर शेयर की और अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे “बोल्ड क्रिएटिव च्वाइस” बताया, लेकिन सहमति नहीं जताई। उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया की लहर दौड़ गई, जहां कई यूजर्स ने इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशील और अनुचित माना। एक यूजर ने लिखा, “कोई भी इस आइडिया को देखेगा तो इसे महिलाओं के प्रति असंवेदनशील ही पाएगा।” एक अन्य यूजर ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा, “क्या आपका दिमाग सही है? इस विज्ञापन के लिए कौन ज़िम्मेदार है?”
एक अन्य यूजर ने ‘यू वी कैन’ को प्रशंसा दी कि युवराज सिंह की इस संस्था ने कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन सलाह दी कि वे विज्ञापन की योजना में सुधार लाएं।
डीएमआरसी की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ता देख दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने विज्ञापन को हटा लिया और एक्स पर इसकी जानकारी दी। डीएमआरसी ने कहा, “यह विज्ञापन 23 अक्टूबर 2024 को केवल एक बार एक मेट्रो ट्रेन में दिखाई दिया और उसी दिन रात 7:45 बजे इसे हटा लिया गया।”
डीएमआरसी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सार्वजनिक भावनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील हैं और इस तरह के विज्ञापन सार्वजनिक स्थानों पर लगाने की न्यूनतम शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह के किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित नहीं होने देंगे।
यू वी कैन की प्रतिक्रिया
‘यू वी कैन’ ने एक उपयोगकर्ता को जवाब देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना था, न कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना। उन्होंने यह भी कहा कि इस विज्ञापन का मकसद बीमारी के लक्षणों के प्रति सावधानी बरतने को प्रेरित करना था।
इस पूरे मामले ने ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता और प्रचार के तरीकों पर बहस को जन्म दिया है।