
नई दिल्ली: “वन नेशन, वन इलेक्शन” मुद्दे पर किस तरह से राजनीति चल रही है, ये अब जगजाहिर है। वहीं इसको लेकर केन्द्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। अब सरकार के सूत्रों से इस बात का पता चला है कि कांग्रेस सांसद अधिर रंजन चौधरी को भी इस कमेटी में सदस्य बनाया गया था। लेकिन जब इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी किया तो बाद में अधिर रंजन चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया है। ऐसा उन्होंने कुछ कांग्रेसी नेताओं के दवाब में किया है, जबकि शुरुआत में कांग्रेस ने इसपर अपनी सहमति भी जताई थी।
2 सितंबर को कानून मंत्रालय ने इस 8 सदस्यीय कमेटी को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह, संविधान एक्सपर्ट सुभा, कश्यप, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व चीफ सीवीसी संजय कोठारी का बतौर सदस्य नाम था। वहीं केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य के रुप में शामिल किया गया था। लेकिन मुंबई में आयोजित हुए विपक्ष गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया।
कमेटी को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ये कहते हुए आपना नाम वापस ले लिया था कि इसका सदस्य बनने से कोई लाभ नहीं है। इसके नतीजे तो पहले से ही फिक्स्ड हैं। चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे पत्र में कहा था, “मुझे उस कमेटी में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसकी शर्तें इसके परिणामों की गारंटी के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है।”