
नई दिल्ली: क्या आधार नंबर को मतदाता सूची के साथ जोड़ा जा रहा है या फिर चुनाव आयोग की भविष्य में ऐसा करने की योजना है, इसको लेकर केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया है कि मतदाता पंजीकरण (संसोधन) नियम 2022 के मुताबिक आधार संख्या को मतदाता सूची के साथ जोड़ना आनिवार्य नहीं है। दरअसल चीप जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को हाल ही में चुनाव आयोग ने जानकारी दी थी कि मतदाता सूची को अंतिम रुप देने की प्रक्रिया के दौरान 66 करोड़ से अधिक आधार नंबर को पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं।
इसके अलावा चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि आयोग फॉर्म में स्पष्टीकरण परिवर्तन जारी करने पर भी विचार कर रहा है, क्योंकि 2022 के नियम 26-B के तहत आधार संख्या की जानकारी देना अनिवार्य नहीं है। दरअसल कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी कि चुनाव आयोग को फॉर्म – 6 और फॉर्म – 6 बी में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इसमें कहा गया है कि जो फॉर्म अभी मौजूद है, उसमें मतदाता को आधार नंबर देने के लिए मजबूर किया जाता है। इसको लेकर चुनाव आयोग की दलील है कि अपना आधार विवरण देना स्वैच्छिक है।
दायर रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग अपने अधिकारियों पर मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने के लिए जोर दे रहा है और राज्य अधिकारी गांव और बूथ स्तर के अधिकारियों पर मतदाताओं से आधार संख्या एकत्र करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इसमें दावा किया गया कि “जमीनी स्तर के अधिकारी मतदाताओं को अपने आधार नंबर जमा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं और ” मतदाताओं को धमकी दे रहे हैं कि यदि आधार कार्ड नंबर प्रदान नहीं किया गया तो मतदाता वोट खो देंगे।