Parliament Winter Session Ends: संसद का शीतकालीन सत्र ऐतिहासिक उत्पादकता के साथ संपन्न हुआ। जानें कैसे राज्यसभा ने 121% और लोकसभा ने 111% कार्यक्षमता दर्ज की और कौन से प्रमुख विधेयक पारित हुए।
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र आज शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। यह सत्र अपनी उच्च विधायी कार्यक्षमता और देर रात तक चली बहसों के लिए याद किया जाएगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस सत्र के दौरान राज्यसभा ने 121 प्रतिशत और लोकसभा ने 111 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की, जो हाल के वर्षों में सबसे प्रभावी सत्रों में से एक रहा।
विधायी उपलब्धियां और प्रमुख विधेयक
सत्र के दौरान सरकार ने अपने एजेंडे में शामिल कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सफलता हासिल की। इनमें सबसे प्रमुख ‘जी राम जी’ (VB-G RAM G) विधेयक रहा, जिसने दो दशक पुराने मनरेगा (MGNREGA) ढांचे का स्थान लिया है। इसके अलावा, नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने वाला शांति (SHANTI) विधेयक और बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति देने वाला सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक भी दोनों सदनों से पारित हो गए।
राज्यसभा: चर्चाओं का नया कीर्तिमान
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन के नेतृत्व में उच्च सदन ने अभूतपूर्व काम किया।
- सदन ने अपने निर्धारित 92 घंटों के मुकाबले 121% उत्पादकता हासिल की।
- शून्य काल (Zero Hour) के दौरान औसतन 84 नोटिस मिले, जो पिछले सत्रों की तुलना में 31% अधिक है।
- सदन की कार्यवाही को पूरा करने के लिए सदस्य पांच बार लंच ब्रेक छोड़कर भी काम पर डटे रहे।
लोकसभा: हंगामे के बीच ठोस काम
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जानकारी दी कि निचले सदन ने 111% उत्पादकता के साथ काम किया। सत्र के दौरान कुल 15 बैठकें हुईं, जिनमें ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ और ‘चुनावी सुधारों’ पर लंबी और गहन चर्चाएं शामिल थीं। हालांकि, प्रदूषण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा न हो पाने के कारण विपक्ष ने निराशा भी व्यक्त की।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान
जहां सरकारी नेताओं ने इस सत्र को ‘परिणामोन्मुख’ और ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया, वहीं विपक्षी दलों ने विधेयकों को पारित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ‘जी राम जी’ विधेयक के विरोध में संसद परिसर में 12 घंटे का धरना भी दिया। उनका तर्क है कि उत्पादकता के आंकड़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण चर्चा की गुणवत्ता और सर्वसम्मति है।
विशेषज्ञों का मानना है कि 100 प्रतिशत से अधिक की उत्पादकता यह दर्शाती है कि संसद अब विधायी कार्यों को निपटाने के लिए अतिरिक्त समय देने को तैयार है। अब सारा ध्यान इस बात पर है कि सत्र के दौरान पारित किए गए इन कानूनों का जमीन पर क्रियान्वयन किस प्रकार होता है।
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