Kabar Khudegi’ Remark Row: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस की ‘कबर खुदेगी’ टिप्पणी को लेकर संसद में औपचारिक माफी की मांग की है। बयान पर भाजपा-कांग्रेस के बीच राजनीतिक टकराव तेज, संसद का माहौल तनावपूर्ण।
नई दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए विवादास्पद “कबर खुदेगी” टिप्पणी को लेकर संसद में औपचारिक माफी की मांग की है। उन्होंने कहा कि केवल निंदा या संसद के बाहर खेद जताना पर्याप्त नहीं है और इस तरह के बयान पर लोकतंत्र के सर्वोच्च मंच पर जवाबदेही तय होनी चाहिए। रिजिजू ने कहा कि यह टिप्पणी सामान्य राजनीतिक आलोचना की सीमा से बाहर है और इसमें इस्तेमाल की गई भाषा आक्रामक तथा गैर-जिम्मेदाराना है।
उनके अनुसार, ऐसी बयानबाजी सार्वजनिक विमर्श की गरिमा को नुकसान पहुंचाती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति सम्मान को कमजोर करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब कोई बयान राष्ट्रीय स्तर पर विवाद और आक्रोश पैदा करता है, तो उसकी जिम्मेदारी भी संसद के भीतर ही ली जानी चाहिए।
मंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी विवाद से दूरी बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि वास्तविक जवाबदेही से बचा जा रहा है। उनका कहना था कि स्पष्टीकरण या व्यक्तिगत खेद उस प्रभाव को कम नहीं कर सकता, जो ऐसे शब्दों से समाज में पड़ता है। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि इस टिप्पणी में आपत्तिजनक भाव निहित हैं और यह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के लिए अनुचित सोच को दर्शाती है। पार्टी का कहना है कि मुद्दा राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का नहीं, बल्कि सार्वजनिक जीवन में मर्यादा और भाषा के न्यूनतम मानकों का है।
वहीं कांग्रेस ने भाजपा की मांग को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनकी मंशा को गलत तरीके से पेश किया गया और गंभीर राष्ट्रीय विषयों से ध्यान भटकाने के लिए विवाद को बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अतीत में सभी दलों के नेताओं द्वारा तीखी भाषा का इस्तेमाल होता रहा है।
इस पूरे विवाद के चलते संसद का माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है। लगातार हो रहे हंगामे और तीखी नोकझोंक से सदन की कार्यवाही प्रभावित हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ती अविश्वास की खाई को उजागर करता है। सरकार ने साफ कर दिया है कि औपचारिक माफी के बिना वह इस मुद्दे को समाप्त नहीं मानेगी। ऐसे में आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि कांग्रेस क्या रुख अपनाती है और इसका संसद की कार्यवाही पर क्या असर पड़ता है।
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