Ban on Caste-Based Content: सरकार ने थानों, एफआईआर, वाहनों और सार्वजनिक स्थानों पर जाति का उल्लेख बंद करने का आदेश जारी किया। अब पुलिस रिकॉर्ड, सोशल मीडिया और रैलियों में जातिगत सामग्री पर रोक रहेगी।
लखनऊ: राज्य सरकार ने जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से पुलिस अभिलेखों और सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख पर व्यापक रोक लगाने का आदेश जारी किया है। अब थानों में अपराधियों के विवरण में, एफआईआर और अन्य पुलिस दस्तावेजों में आरोपी और वादी की जाति का कॉलम नहीं भरा जाएगा। एससी-एसटी एक्ट के तहत मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में केवल उपनाम दर्ज किया जाएगा, लेकिन जाति का कोई जिक्र नहीं होगा।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि यह कदम सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) के तहत ऑनलाइन एफआईआर फॉर्मेट में जाति कॉलम को हटाने के लिए एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) को भेजे गए पत्र के अनुरूप उठाया गया है। इसके अलावा, पुलिस दस्तावेजों में अब माता-पिता दोनों के नामों का उल्लेख अनिवार्य होगा, और सीसीटीएनएस में माता के नाम के लिए कॉलम भी बढ़ाया जाएगा।
शासनादेश में वाहन और सार्वजनिक स्थानों पर जाति आधारित सामग्री पर भी रोक लगाने का निर्देश शामिल है। नंबर प्लेट पर जाति लिखने पर पांच हजार रुपये और वाहन के शीशे या अन्य स्थान पर जाति आधारित स्लोगन या स्टिकर लगाने पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। प्रदेश में जातिगत रैलियों और जाति आधारित सार्वजनिक आयोजनों पर भी रोक रहेगी। मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि थानों में अपराधियों की जानकारी रखने वाले रजिस्टर, हिस्ट्रीशीटर बोर्ड और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में जाति का उल्लेख अब नहीं किया जाएगा।
शासन ने सोशल मीडिया पर जातिगत कंटेंट फैलाने पर भी निगरानी और कार्रवाई का प्रावधान किया है। थानों के नोटिस बोर्ड, वाहन और अन्य साइन बोर्ड से जातीय संकेत और जातिगत नारे हटाए जाएंगे। भविष्य में ऐसे बोर्ड लगाने पर भी प्रतिबंध रहेगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस आदेश का उद्देश्य समाज में समानता स्थापित करना और जाति आधारित भेदभाव को रोकना है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जल्द ही विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि आदेश का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
