Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में निषाद पार्टी की बढ़ती गतिविधियां, एनडीए और महागठबंधन के समीकरण पर संभावित असर और निषाद समुदाय की रणनीतिक भूमिका।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निषाद पार्टी ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर दिया है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी इस पार्टी की नजर बिहार की उन विधानसभा सीटों पर है, जो यूपी की सीमा के पास हैं और जहां निषाद समुदाय की अच्छी संख्या रहती है।
पार्टी ने हाल ही में रविंद्र मणि निषाद को राष्ट्रीय सचिव और मिठाई लाल एवं जनकनंदिनी निषाद को बिहार का सह-प्रभारी नियुक्त किया है। बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 5.5% है, जबकि मल्लाह, केवट, बिंद और कश्यप जैसी उपजातियों को मिलाकर यह संख्या 8–9% तक पहुंच जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निषाद पार्टी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़े, तो बिहार के चुनाव परिणामों पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, भागलपुर और खगड़िया जिलों में निषाद बस्तियां घनी हैं, जो पार्टी के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद, जो उत्तर प्रदेश में मत्स्य विकास मंत्री भी हैं, ने पार्टी विस्तार और बिहार चुनाव को लेकर हाल ही में कई नेताओं के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि नदी के आसपास रहने वाले निषाद समाज को पार्टी खास तौर पर अपनी गतिविधियों में शामिल करेगी।
वर्तमान में बिहार में निषाद समुदाय का कोई बड़ा नेता नहीं उभर पाया है, लेकिन मुकेश सहनी ने पिछले चुनावों में इस समुदाय को एकजुट कर अपनी पहचान बनाई थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, हालांकि पिछले 15 वर्षों से अधिकांश निषाद समुदाय के वोटर एनडीए के पक्ष में रहे हैं, लेकिन इस बार निषाद पार्टी की सक्रिय भूमिका चुनावी समीकरण बदल सकती है।