प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने संबंधी विधेयक पर सियासी टकराव, संसदीय समिति में विपक्षी मतभेद उभरे

0Shares

Bill to Remove PM, CMs and Ministers After 30-Day Jail: प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन की जेल के बाद पद से हटाने वाले विधेयक पर संसद में सियासी घमासान। संसदीय समिति में विपक्षी दलों में मतभेद, टीएमसी बहिष्कार के पक्ष में, जबकि कांग्रेस समिति में भागीदारी चाहती है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए उस विधेयक को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को किसी मामले में 30 दिन की जेल की सजा होती है, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। इस प्रस्तावित कानून को संसदीय संयुक्त समिति (जॉइंट पार्लियामेंटरी कमेटी) के पास भेजा गया है। लेकिन समिति के गठन को लेकर विपक्षी खेमे में ही मतभेद सामने आ रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस समिति में अपने सांसदों को भेजने के पक्ष में नहीं है। पार्टी का मानना है कि समिति में शामिल होकर विपक्ष सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से मौका दे देगा, जैसा कि पहले वक्फ बिल के मामले में हुआ था। टीएमसी ने इंडिया ब्लॉक की बैठक में सुझाव दिया कि पूरे विपक्ष को ही इस समिति का बहिष्कार करना चाहिए। लेकिन कांग्रेस सहित अन्य दलों का मानना है कि समिति ही एक ऐसा मंच है, जहां विपक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकता है, संशोधन सुझा सकता है और राजनीतिक दूरी भी बनाए रख सकता है। कांग्रेस को समिति में 4 से 5 सीटें मिलने की संभावना है, लेकिन फिलहाल उसने टीएमसी के अंतिम निर्णय का इंतजार करने का रुख अपनाया है।

टीएमसी नेताओं का तर्क है कि यह समिति महज “समय की बर्बादी” होगी, क्योंकि संविधान संशोधन विधेयक पारित करने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान में एनडीए के पास नहीं है। पार्टी का कहना है कि सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, न्यायिक प्रक्रिया में यह कानून टिक नहीं पाएगा। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह बिल सरकार और विपक्ष के बीच भविष्य की राजनीतिक जंग का अहम मुद्दा बन सकता है। एक ओर विपक्ष इसे “राजनीतिक हथियार” बता रहा है, वहीं सरकार इस कदम को राजनीतिक शुचिता और जवाबदेही से जोड़कर देख रही है। अब सबकी निगाहें समिति के गठन और उसमें विपक्ष की भागीदारी पर टिकी हैं।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *