Supreme Court Order on Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अब कुत्तों को वैक्सिनेशन के बाद ही छोड़ा जाएगा, रेबिज से ग्रस्त कुत्तों को बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने तय जगह पर ही भोजन कराने और उल्लंघन पर 25 हजार से 2 लाख तक जुर्माना लगाने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर आज अहम फैसला सुनाया है। तीन जजों की बेंच ने अपने पहले के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि अब कुत्तों को वैक्सिनेशन के बाद ही वापस छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने साफ किया कि जिन कुत्तों में रेबिज के लक्षण पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी हालत में बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट सभी राज्य सरकारों को भी नोटिस जारी करने जा रही है और जिन जिन जिलों में इस तरह के मामले लंबित हैं तो उसकी सुनवाई सीधे सुप्रीम कोर्ट में होगी।
इससे पहले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सड़कों से कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए, हालांकि उस समय किसी पक्ष को सुना नहीं गया था। अब ताज़ा आदेश में कोर्ट ने व्यवस्था स्पष्ट करते हुए कहा है कि हर इलाके में कुत्तों को इधर-उधर खाना न खिलाया जाए। इसके लिए नगर निगम को तय स्थान निर्धारित करने होंगे, जहां लोग या एनजीओ कुत्तों को भोजन उपलब्ध करा सकें। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी कुत्ते को गोद लेना चाहता है तो वो नगर निगम में एक आवेदन देकर, पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद कुत्ते को गोद ले सकते हैं।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन, नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा कुत्तों को पकड़कर वैक्सिनेशन करने की प्रक्रिया में बाधा डालता है, तो उस पर 25 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को एक हेल्पलाइन नंबर जारी करने का भी आदेश दिया है ताकि लोग इस संबंध में शिकायत या जानकारी दे सकें।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन संगठनों और व्यक्तियों ने राहत की सांस ली है, जो आवारा कुत्तों को पकड़ने और शेल्टर में भेजने का विरोध कर रहे थे। अब वैक्सिनेशन के बाद कुत्तों को सुरक्षित रूप से उनके इलाकों में छोड़ा जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ये फैसला सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं होगा, बल्कि ये पूरे देश में लागू होगा। इस मामले को लेकर सभी राज्य सरकार को पार्टी बनाकर नोटिस जारी किया जा रहा है और 8 सप्ताह के बाद इस पर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर सुनवाई करेगा और इसके बाद व्यवहारिकता को देखते हुए एक नेंशनल पॉलिसी बनाई जाएगी।