Imran Khan Targets Asim Munir: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जेल से सेना प्रमुख असीम मुनीर पर तीखे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि देश “मुनीर के कानून” से चल रहा है और राष्ट्रीय हितों की बलि दी जा रही है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने जेल से एक बार फिर सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर तीखा हमला बोला है। सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में इमरान खान ने आरोप लगाया कि जनरल मुनीर सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए देश के राष्ट्रीय हितों की बलि दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आज पाकिस्तान “मुनीर के कानून” से चल रहा है और उन्हें खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है।
इमरान खान ने अपने बयान में कहा, “सेना प्रमुख मुनीर उसी तरह सेना का अपमान कर रहे हैं जैसे याह्या खान ने अपने समय में किया था। अदालतें अब मुनीर के समर्थकों से भरी पड़ी हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि संसद, सीनेट, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति—सभी असंवैधानिक रूप से पद पर हैं और उन्हें जनता की इच्छा से नहीं चुना गया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा पर ऐतिहासिक स्तर की चुनावी धांधली करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की संसदीय सीटें एक साजिश के तहत दूसरों को दे दी गईं, जिससे लोकतंत्र की जड़ें हिल गई हैं।
जेल में अपने हालात का जिक्र करते हुए इमरान खान ने बताया कि उनके साथ कठोर व्यवहार बढ़ता जा रहा है। उनका दावा है कि उनकी कोठरी से टीवी तक हटा दिया गया है और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के साथ भी जेल में अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है। खान ने एक कर्नल और जेल अधीक्षक पर आरोप लगाया कि वे जनरल मुनीर के निर्देश पर कार्रवाई कर रहे हैं। इमरान खान ने अपने समर्थकों और पार्टी को संदेश देते हुए कहा, “अगर जेल में मेरे साथ कुछ भी होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी असीम मुनीर की होगी। मैं अपना जीवन जेल में बिताने को तैयार हूं, लेकिन तानाशाही के आगे झुकना नामुमकिन है। पाकिस्तान की जनता से मेरी अपील है कि किसी भी हाल में इस दमनकारी व्यवस्था के सामने न झुकें।”
गौरतलब है कि इमरान खान पिछले दो वर्षों से विभिन्न मामलों में जेल में बंद हैं और लगातार सैन्य प्रतिष्ठान और सरकार के खिलाफ मुखर बयान देते रहे हैं। उनकी टिप्पणियाँ ऐसे समय में आई हैं जब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और संस्थानों की स्वतंत्रता को लेकर बहस तेज़ है।