
(Pahalgam Terror Attack
पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराया। भारत के सख्त कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने बंदरगाह बंद किए, लेकिन इससे उसकी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगने वाला है। जानिए क्यों पाकिस्तान के फैसले खुद उसके लिए घातक बनते जा रहे हैं।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। भारत ने इस हमले के जवाब में जहां सख्त कूटनीतिक और व्यापारिक कदम उठाए हैं, वहीं पाकिस्तान भी जवाबी कार्रवाई के तहत भारतीय जहाजों के लिए अपने बंदरगाहों को बंद करने का ऐलान कर चुका है। लेकिन यह फैसला पाकिस्तान के लिए खुद एक बड़ी आर्थिक मुसीबत का सबब बनने वाला है। भारत की ओर से मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 की धारा 411 के तहत पाकिस्तान के झंडे वाले जहाजों को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय जहाजों के लिए अपने पोर्ट बंद कर दिए हैं। दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार और पार्सल आदान-प्रदान पूरी तरह से ठप हो गया है।
हालांकि राजनीतिक स्तर पर यह टकराव दिखावटी बराबरी का प्रयास लगता है, लेकिन यदि आर्थिक आंकड़ों की बात करें, तो इस पूरे घटनाक्रम से असली नुकसान पाकिस्तान को ही झेलना पड़ेगा। पुलवामा हमले के बाद भारत ने पहले ही पाकिस्तान पर 200% आयात शुल्क लगा दिया था, जिससे द्विपक्षीय व्यापार लगभग समाप्त हो गया था। अब बंदरगाहों की बंदी से बची-खुची रसद आपूर्ति की संभावनाएं भी खत्म होती दिख रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान के निर्माण और निर्यात उद्योग को जिन भारतीय कच्चे माल पर निर्भर रहना पड़ता है, अब उनकी आपूर्ति रुक जाएगी। इससे पाकिस्तान की पहले से जर्जर अर्थव्यवस्था पर और गहरा संकट मंडराने लगा है। शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर प्रतिकूल असर साफ तौर पर दिखने लगा है।
भारत सरकार अब तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले व्यापार पर भी नजर बनाए हुए है। भारत में बने उत्पादों को UAE, सिंगापुर या कोलंबो जैसे बंदरगाहों से “Made in UAE” जैसे लेबल के साथ पाकिस्तान पहुंचाया जाता है। अब इस रूट पर भी निगरानी बढ़ाई जा रही है। अगर यह रास्ता भी बंद हुआ तो पाकिस्तान में आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत उत्पन्न हो सकती है। FIEO के महानिदेशक अजय सहाय के अनुसार, भारत से पाकिस्तान को होने वाला प्रत्यक्ष निर्यात भले ही भारत के कुल निर्यात का महज 0.06% है, लेकिन फार्मा और केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में पाकिस्तान की निर्भरता काफी अधिक है। ऐसे में इन प्रतिबंधों का असर पाकिस्तान की जनता और उद्योग दोनों पर देखने को मिलेगा।
पाकिस्तान भले ही दिखावे के लिए भारत के फैसलों का जवाब दे रहा है, लेकिन असल में उसके फैसले आत्मघाती साबित हो रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान इस नए व्यापारिक संकट से कैसे निपटेगा, और भारत किस तरह तीसरे देशों के जरिये होने वाले छिपे व्यापार को भी नियंत्रित करता है।