
National Herald Case
नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में दिल्ली कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है।
नई दिल्ली: एक समय का प्रतिष्ठित अखबार नेशनल हेराल्ड, जो दशकों पहले बंद हो चुका था, आज देश के सबसे चर्चित आर्थिक घोटालों में से एक के केंद्र में है। नेशनल हेराल्ड केस अब अपने एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1 मई को इस बहुचर्चित मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य को नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले यह स्पष्ट किया कि सभी आरोपियों को सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए। अदालत ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि प्रारंभिक चरण में भी आरोपी अपनी बात रख सकते हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 मई को होगी।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
इस कहानी की शुरुआत 1938 में हुई, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की। यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अंतर्गत प्रकाशित होता था। लेकिन समय के साथ आर्थिक दबावों के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया। 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड (YI) नाम की एक नई कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। कांग्रेस पार्टी ने AJL को पहले ₹90 करोड़ का कर्ज दिया, और फिर यंग इंडियन ने मात्र ₹50 लाख में यह कर्ज खरीद लिया। इस ट्रांजैक्शन के जरिए AJL की देशभर में फैली करोड़ों की संपत्तियां यंग इंडियन के अधीन आ गईं।
ईडी के आरोप क्या हैं?
ED का आरोप है कि यह पूरा लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है। एजेंसी का कहना है कि इस सौदे के जरिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य ने आपराधिक साजिश रचते हुए AJL की ₹2000 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर नियंत्रण प्राप्त किया। अब तक ईडी इस मामले में ₹750 करोड़ से अधिक की संपत्तियां जब्त कर चुकी है, जिनमें दिल्ली, मुंबई और लखनऊ स्थित बहुमूल्य अचल संपत्तियां शामिल हैं। 15 अप्रैल 2025 को ईडी ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सोनिया, राहुल समेत कई अन्य को आरोपी बनाया गया।
कोर्ट की कार्यवाही और अगला कदम
1 मई 2025 को राउज एवेन्यू कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले सभी आरोपियों को सुनवाई का अधिकार देने की बात कही। अदालत ने निष्पक्ष न्याय की प्रक्रिया को प्राथमिकता देते हुए 8 मई को अगली सुनवाई तय की है। यदि अदालत चार्जशीट को स्वीकार करती है, तो इस केस की विधिवत सुनवाई शुरू हो जाएगी। ईडी ने इस प्रक्रिया पर कोई आपत्ति नहीं जताई है, बल्कि निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांत का समर्थन किया है। आने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि मामले में ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी या नहीं।
नेशनल हेराल्ड केस सिर्फ एक पुराने अखबार की कहानी नहीं है, यह आधुनिक भारत में राजनीतिक, कानूनी और आर्थिक ताकतों के टकराव का प्रतीक बन गया है। 8 मई को अदालत में होने वाली सुनवाई अब इस बात का फैसला करेगी कि क्या यह मामला पूरी तरह से कोर्ट में चलेगा या नहीं। क्या यह एक सामान्य वित्तीय लेनदेन था या फिर सत्ता के गलियारों में रचा गया एक रणनीतिक खेल? यह आने वाले दिनों में अदालत में तय होगा।