ट्रंप और मस्क के खिलाफ अमेरिका में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन, 150 से अधिक संगठनों ने लिया हिस्सा

वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और टेक उद्यमी एलन मस्क (Ellon Musk) के खिलाफ शनिवार को देशभर में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ट्रंप और मस्क देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस राष्ट्रव्यापी विरोध में 150 से अधिक संगठनों ने हिस्सा लिया, जिसमें नागरिक अधिकार समूहों से लेकर श्रमिक संघों, LGBTQ+ समुदाय, वकीलों, पूर्व सैनिकों और चुनाव कार्यकर्ताओं तक शामिल थे।

50 राज्यों से लेकर कनाडा-मेक्सिको तक गूंजा विरोध

प्रदर्शन केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कनाडा और मेक्सिको जैसे पड़ोसी देशों में भी विरोध रैलियां आयोजित की गईं। वाशिंगटन डीसी और फ्लोरिडा में राष्ट्रपति ट्रंप के निवास के पास प्रदर्शनकारियों की बड़ी भीड़ देखी गई। लोगों ने ‘हाथ हटाओ’ (Hands Off) लिखी तख्तियां लेकर विरोध जताया, जो इस आंदोलन का प्रमुख नारा बन चुका है।

प्रदर्शनकारियों ने जताई चिंता – ‘देश को बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं ट्रंप और मस्क’

प्रदर्शन में भाग लेने वालों का कहना था कि सरकारी नीतियों, टैरिफ, आर्थिक मंदी और मानवाधिकारों के उल्लंघन ने आम नागरिकों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमारे राष्ट्रपति ट्रंप और एलन मस्क दूसरे हितों के लिए देश को नष्ट करने में लगे हुए हैं। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

महात्मा गांधी और देवी काली का किया जिक्र

प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीकों का हवाला देकर अपनी बात रखी। एक प्रदर्शनकारी ने महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की तुलना करते हुए कहा, “यह महासागर और यह नमक हमारा है। लालच के खिलाफ यह हमारी लड़ाई है।” वहीं, एक अन्य ने कोलकाता और देवी काली का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शक्ति अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देती है।

बेरोजगारी और सामाजिक असुरक्षा बनी चिंता की वजह

प्रदर्शन में भाग लेने वाले कई लोग उन परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे जिन्होंने ट्रंप प्रशासन के दौरान नौकरी, स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा खो दी। एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, “लोग आज अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए लड़ रहे हैं – नौकरी, इलाज, आवास और भोजन। यह सब ट्रंप के सत्ता में आने के बाद और बिगड़ गया है।” इन विरोध प्रदर्शनों ने साफ कर दिया है कि देश का एक बड़ा तबका मौजूदा नीतियों और प्रशासनिक रवैये से नाखुश है और बदलाव की मांग कर रहा है।

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