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नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया संशोधन विधेयक बीती रात लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा से पारित हो गया है। इस बिल का विपक्षी दलों ने आक्रामक विरोध किया है। वहीं, कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस पहले भी CAA, 2019, RTI अधिनियम, 2005 में संशोधन, और चुनाव संचालन नियम (2024) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुकी है।
संविधान की मूल भावना पर हमला: कांग्रेस
जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा, “पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की मूल भावना को बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप किया था। अब हम इस संशोधन विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को भी चुनौती देंगे। हमें पूरा विश्वास है कि हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों और प्रावधानों की रक्षा के लिए मोदी सरकार के हर हमले का विरोध करते रहेंगे।”
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने भी जताया विरोध
विधेयक को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा की है। उन्होंने इसे संविधान की संरचना पर हमला बताते हुए विधानसभा में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। स्टालिन ने कहा, “भारत में बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद इस संशोधन को देर रात दो बजे पारित करना लोकतंत्र के खिलाफ है। हमारी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी।”
संसद में गर्मागर्म बहस के बाद पास हुआ विधेयक
बिल को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में लंबी चर्चा चली, जिसमें विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। हालांकि, सरकार ने विधेयक को पास कराने में सफलता प्राप्त की। इस विधेयक के पारित होने के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है, और अब इसका कानूनी लड़ाई में जाना तय माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद संवैधानिक बहस का विषय बन सकता है। अब सभी की निगाहें इस पर रहेंगी कि कोर्ट इस पर क्या निर्णय सुनाता है।