न्यायिक जवाबदेही और NJAC पर गरमाई बहस, कांग्रेस बोली— सरकार न करे नियुक्तियों पर कब्जा

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नई दिल्ली: एक हाई कोर्ट के जज के घर से करोड़ों रुपये की नकदी बरामद होने के बाद देश में न्यायपालिका की जवाबदेही और जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर नई बहस छिड़ गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) को फिर से लागू करने की मांग के बीच कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह न्यायिक जवाबदेही पर एक नया विधेयक ला सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी ऐसे कानून का समर्थन नहीं करेगी जिससे सरकार को जजों की नियुक्ति पर सीधा नियंत्रण मिल जाए। पार्टी का कहना है कि जजों की नियुक्ति के लिए एक बेहतर तरीका खोजा जाना चाहिए, लेकिन उसमें सरकार का दखल नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस ने 2014 में किया था NJAC का समर्थन

गौरतलब है कि कांग्रेस ने 2014 में NJAC बिल का समर्थन किया था और यह संसद में पास भी हो गया था। लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया था। अब उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस मुद्दे को फिर से उठाते हुए विपक्षी दलों से उनकी राय मांगी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस विषय पर पार्टी नेताओं से चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने कॉलेजियम सिस्टम की कमियों को स्वीकार किया लेकिन इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया पर नियंत्रण नहीं मिलना चाहिए।

‘कोलेजियम सिस्टम विफल रहा, लेकिन NJAC भी समाधान नहीं’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कॉलेजियम सिस्टम को “काफी हद तक विफल” बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि NJAC कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा शुरू की गई जांच की सराहना की और कहा कि इसकी रिपोर्ट पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक की जानी चाहिए।

न्यायपालिका की जवाबदेही भी जरूरी: मनीष तिवारी

लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि न्यायपालिका की जवाबदेही का मुद्दा भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जजों की नियुक्ति का। उन्होंने कहा कि जजों के खिलाफ महाभियोग ही एकमात्र तरीका नहीं होना चाहिए, बल्कि उन पर कार्रवाई करने की स्पष्ट और निष्पक्ष प्रक्रिया होनी चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यूपीए सरकार ने न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक पेश किया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। तिवारी ने संसद से विधायिका और न्यायपालिका की निगरानी पर विस्तृत चर्चा करने की अपील की।

‘सरकार लेकर आए ठोस फॉर्मूला’

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी इस बात से सहमत है कि जजों की नियुक्ति के लिए एक पारदर्शी और संतुलित तरीका होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ नियुक्ति प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित व्यवस्था चाहते हैं। सरकार जब कोई ठोस फॉर्मूला लेकर आएगी, तब हम इस पर चर्चा करेंगे।” इस बीच, जज के घर से नकदी बरामद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी इस मामले की जांच के संकेत दिए गए हैं। इस पूरे विवाद के बीच न्यायिक नियुक्तियों और जवाबदेही को लेकर देश में एक बार फिर गंभीर बहस शुरू हो गई है।

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