दिल्ली की पुरानी केजरीवाल सरकार के प्रचार खर्च पर विवाद, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य योजनाओं के विज्ञापनों पर किया अरबों खर्च

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नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर किए गए भारी खर्च को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार पर सरकार ने अरबों रुपये खर्च किए हैं। विपक्षी दलों ने इसे अनावश्यक और अत्यधिक व्यय बताते हुए सरकार की आलोचना की है।

दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिनमें सरकारी स्कूलों का नवीनीकरण, नए स्कूलों का निर्माण और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया गया। इन योजनाओं के प्रचार पर भारी रकम खर्च की गई, ताकि जनता को इन सुधारों की जानकारी दी जा सके। मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में सुधार जैसी स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार पर भी सरकार ने बड़ी रकम खर्च की है। इसके तहत अस्पतालों में सुविधाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन चलाए गए।

दिल्ली सरकार द्वारा मुफ्त बिजली और पानी जैसी योजनाओं के प्रचार पर भी काफी खर्च किया गया। सरकार का दावा है कि ये योजनाएं जनता के लिए अत्यंत लाभकारी हैं, इसलिए इनके बारे में जानकारी पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर प्रचार किया गया। महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, तीर्थ यात्रा योजना और अन्य योजनाओं के प्रचार पर भी महत्वपूर्ण राशि खर्च की गई। सरकार का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसलिए विज्ञापन जरूरी थे।

सरकार के प्रचार खर्च को लेकर कई बार विवाद खड़ा हुआ है। विपक्षी दलों, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली सरकार पर योजनाओं से ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने कैग (CAG) रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने जरूरत से ज्यादा राशि प्रचार पर खर्च की है।

2020-2021 में भारी विज्ञापन खर्च

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, मार्च 2020 से जुलाई 2021 के बीच दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों पर लगभग 490 करोड़ रुपये खर्च किए। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि कुछ योजनाओं के लिए आवंटित राशि से कई गुना अधिक खर्च उनके प्रचार पर कर दिया गया। उदाहरण के लिए:

  • “देश के मेंटर्स” योजना के लिए 1.9 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि इसके विज्ञापन पर 27.90 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
  • “बिजनेस ब्लास्टर्स” योजना के लिए 54.08 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन इसके प्रचार पर 80.02 करोड़ रुपये खर्च हुए।

कुल विज्ञापन खर्च में भारी वृद्धि

दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) के अनुसार, पिछले 9 वर्षों में विज्ञापन पर खर्च 15 करोड़ से बढ़कर 568 करोड़ रुपये हो गया है। रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली में मुफ्त सुविधाओं पर सरकारी खर्च पिछले 10 वर्षों में 607% तक बढ़ गया है। आम आदमी पार्टी सरकार के शुरुआती वर्षों में यह खर्च 1500 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 11000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विज्ञापनों पर कुल 4 अरब 88 करोड़ रुपये खर्च किए। 2020-21 में बायो डी-कंपोजर के विज्ञापनों पर ही लगभग 16 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

विपक्ष का हमला

भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जनता के पैसे को विज्ञापनों पर बर्बाद किया जा रहा है। भाजपा का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार योजनाओं की वास्तविक क्रियान्वयन से अधिक प्रचार पर ध्यान दे रही है।

सरकार का बचाव

आम आदमी पार्टी सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह खर्च जनता को योजनाओं की जानकारी देने के लिए जरूरी था। सरकार का दावा है कि उनकी नीतियों से दिल्ली की जनता को व्यापक लाभ हुआ है और इस प्रचार के जरिए अधिकतम लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई। दिल्ली सरकार के प्रचार खर्च को लेकर चल रहा विवाद अभी भी गर्माया हुआ है। जहां एक तरफ सरकार इसे आवश्यक बता रही है, वहीं विपक्ष इसे सरकारी धन की बर्बादी करार दे रहा है। इस मामले पर आगे क्या कार्रवाई होगी, यह देखने वाली बात होगी।

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