पटना: पटना मेट्रो के निर्माण स्थल पर सोमवार और मंगलवार की मध्य रात्रि को एक गंभीर हादसा हुआ जिसमें लोको पायलट सहित तीन मजदूरों की मौत हो गई और पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह हादसा पटना मेट्रो के निर्माणाधीन टनल-1 में हुआ, जहां हाइड्रोलिक लोको का ब्रेक फेल हो गया, जिससे टनल के अंदर एक अनियंत्रित दुर्घटना घटित हुई। यह घटना पटना विश्वविद्यालय के रूट पर स्थित अशोक राजपथ के एनआईटी मोड़ के पास हुई, जहाँ लगभग 25 मजदूर उस वक्त काम कर रहे थे।
हादसे का क्रम और उसका प्रभाव
रात करीब 10 बजे, हाइड्रोलिक लोको का ब्रेक अचानक से फेल हो गया और वह अनियंत्रित गति से टनल में दौड़ने लगा। इसके चलते एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हुए मजदूरों को बचाकर तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान दो और मजदूरों की मृत्यु हो गई, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर तीन हो गई। घायलों में से दो को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
मृतक और घायल मजदूरों का विवरण
हादसे में मारे गए तीन मजदूरों की पहचान हेल्पर मनोज, विजय, और श्यामबाबू के रूप में हुई, जो सभी उड़ीसा से आए थे। मारे गए लोगों में एक लोको पायलट और एक टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) ऑपरेटर थे। घटना के बाद अन्य मजदूरों ने टनल से बाहर निकलने की कोशिश की और चीख-पुकार मच गई। घायल मजदूरों ने खुद ही अपने साथियों को बाहर निकालने में मदद की, जिससे स्थिति थोड़ी नियंत्रण में आई।
हादसे के कारण और मजदूरों की प्रतिक्रिया
मजदूरों ने बताया कि हादसे के वक्त टनल में करीब 25 लोग काम कर रहे थे, लेकिन पटना मेट्रो का कोई अधिकारी उस समय मौके पर मौजूद नहीं था। मजदूरों ने इस लापरवाही के खिलाफ जमकर विरोध किया और हंगामा किया। उनका कहना है कि अधिकारियों की अनुपस्थिति और मशीन की तकनीकी खामियों के कारण यह हादसा हुआ।
बचाव कार्य में देरी और सरकारी प्रतिक्रिया
हादसे के बाद पुलिस और बचाव दल को सूचना पहुँचने में एक घंटे से अधिक का समय लग गया। आधी रात के बाद ही बचाव कार्य शुरू हो सका और टनल में फंसे दो मजदूरों को बाहर निकाला गया। पटना मेट्रो के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि रात ढाई बजे तक तीन मजदूरों की मौत हो चुकी थी, जबकि चार अन्य घायल हैं जिनका इलाज अस्पताल में जारी है।
पटना मेट्रो परियोजना का सबसे बड़ा हादसा
यह पटना मेट्रो के निर्माणाधीन स्थलों पर अब तक का सबसे बड़ा हादसा माना जा रहा है। इससे पहले भी मेट्रो परियोजना के दौरान कई छोटे-मोटे हादसे हुए थे, लेकिन टनल में इस तरह की गंभीर तकनीकी समस्या से कोई दुर्घटना पहले नहीं हुई थी। अधिकारियों के अनुसार, मेट्रो प्रोजेक्ट के दौरान सुरक्षा और तकनीकी खामियों की समीक्षा की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
यह हादसा न केवल तकनीकी खामियों को उजागर करता है, बल्कि निर्माणाधीन स्थलों पर अधिकारियों की निगरानी और सुरक्षा प्रबंधन पर भी सवाल खड़े करता है।