India-Canada Crisis: जैसा बाप वैसा बेटा, 1974 से ही भारत और कनाडा के बीच कई मुद्दों पर शुरु हुआ था विवाद
0Shares

नई दिल्ली: ये बात अब किसी से छिपी नहीं है कि कनाडा इकलौता ऐसा देश है जो खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए पनाहगार बन गया है। दरअसल इसकी शुरुआत 1985 से ही हो गई थी, जब कनाडा से भारत आ रहे कनिष्क विमान में एक धमाका हुआ था और इस धमाके में 329 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इस धमाके का मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार था जो एक खालिस्तानी आतंकी थी, वो कनाडा में जाकर छिप कर बैठ गया। उस वक्त भारत सरकार ने कनाडा सरकार से अपील की थी कि वो तलविंदर सिंह को भारत सरकार को सौंप दे लेकिन कनाडा ने इंकार कर दिया। उस वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री थे पियरे इलियट ट्रूडो जो मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता थे।

परमाणु परीक्षण पर उठाए थे सवाल

आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच तनाव का ये कोई पहला मामला नहीं है। दोनों देशों के बीच साल 1974 में पहली बार तनाव शुरु हो गया था, जब भारत ने परमाणु परीक्षण करने के लिए काम कर रहा था। भारत के इस कदम पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रडो ने आपत्ति जताई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत के साथ दूरियां भी बना ली थी। साल 1988 में ये तनाव और बढ़ गया जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किय़ा। उस वक्त कनाडा ने इसे भारत का उनके साथ विश्वासघात बताया था।

इंदिरा गांधी की हत्या पर मना था जश्न

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी। उस वक्त खालिस्तानी आतंकियों ने कनाडा में जश्न मनाया था। अपनी खुशी का इजहार करने के मद्देनजर उन्होंने एक परेड भी निकाली थी। जिसपर भारत सरकार ने आपत्ति भी जाहिर की थी। कनाडा सरकार से भारत सरकार न कहा भी था कि ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत सरकार ने कनाडा सरकार से अपील की थी कि जिसने भी इस परेड का संचालन किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन कनाडा सरकार ने ना तो इसमें भारत का कोई सहयोग किया और ना ही इन खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कोई कदम ही उठाया।

खालिस्तानीयों को है कनाडा सरकार का समर्थन!

ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों का पनाहगार है। इसके लिए कनाडा सरकार सीधे भारत सरकार से भीड़ जाती है। लेकिन यहां सोचने वाली बात है कि ऐसा क्यों? दरअसल कनाडा में राजनीति से लेकर कारोबार तक, करीब करीब हर क्षेत्र में खालिस्तानी आतंकियों का दबदबा है। ऐसे में इनका प्रभाव कनाडा में बढ़ता जा रहा है। इससे पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता हमेशा खालिस्तानियों को लेकर भारत की खिलाफत करते रहे और अब बेटा भी यही काम कर रहा है तो लाजमी है कि खालिस्तानी आतंकी कनाडा को अपने लिए सुरक्षित जगह मानेंगे ही।

Loading

Leave comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *.