
नई दिल्ली: कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के स्पीकर हॉल में रविवार को जाने माने लेखक अनुपम श्रीवास्तव द्वारा लिखित किताब “हिन्दूइस्म- द साईंस ऑफ सैल्फ रियालाईयेशन” का अनावरण किया गया। जीवन दीप के संस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि की अध्यक्षता में और भगवान शंकर आश्रम, मसूरी (उत्तराखंड) के मुख्य अध्यक्ष, और आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन के प्रमुख प्राम्ग्य जगद्गुरु प्रोफेसर पुष्पेन्द्र आर्यन, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ आशीष गौतम, आध्यात्मिक गुरु श्री अरविंद नागर जी, वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव और हिमालयन मौंक फाउंडेशन के संस्थापक श्री प्रदीप पंत के सान्निध्य में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मंच संचालन और कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ पत्रकार अतुल रामेश्वर दयाल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलित किया गया। फिर लेखक अनुपम श्रीवास्तव ने सभी विशिष्ट मेहमानों को शॉल ओढ़ा कर और पुस्तक की एक – एक प्रति देकर उनका अभिनंदन किया। इस कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों और सभी प्रसिद्ध आध्यात्मिक विभूतियों ने अपने ज्ञानवर्धक विचारों को इस कार्यक्रम के साक्षी बने मेहमानों के साथ शेयर किया। इस कार्यक्रम में उपस्थित लोग भी हिंदू धर्म की गहरी शिक्षाओं में डूबे हुए, हिंदू धर्म की जटिल दार्शनिक अवधारणाओं और आत्म-साक्षात्कार के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोग की खोज में डूबे प्रतीत हुए। इस कार्यक्रम में स्वामी यतींद्रानंद गिरि द्वारा अग्रिम भाषणों की प्रेरणादायक रचना हुई, जिसके बाद महान विद्वानों और आध्यात्मिक गुरुओं ने इस पुस्तक के पन्नों में समाहित कालातीत ज्ञान पर प्रकाश डाला। इसके अलावा उपस्थित मेहमानों को अपनी आध्यात्मिक यात्रा में और अधिक गहराई तक जाने और खुद को और दुनिया को गहराई से समझने के लिए प्रेरित किया गया।

दरअसल इस कार्यक्रम ने ज्ञान और प्रबोधन का काम किया और उपस्थित लोगों को आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया में नए उद्देश्य और नई दिशा के साथ छोड़ा। बात इस किताब की करें तो ये किताब “हिन्दूइस्म– द साईंस ऑफ सैल्फ रियालाईयेशन“ हिन्दू दर्शन के अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम है।इस किताब के माध्यम से लेखक अनुपम श्रीवास्तव ने हिंदू धर्म की गहराई में एक गहन यात्रा के साथ – साथ आध्यात्मिक ज्ञान की समृद्ध टेपेस्ट्री को उजागर करते हुए आत्म-बोध के मार्ग को प्रशस्त करने वाले शाश्वत सिद्धांतों के बारे में बात की है। ये किताब एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में पेश किया गया है, जो हिन्दू दर्शन की सार्थकता और आधुनिक विश्व में उसकी प्रासंगिकता की अनुभूति प्रदान करता है।
इस किताब में पुराने ग्रंथों, दार्शनिक ग्रंथों और समकालीन अंतर्दृष्टि पर विचार करते हुए, लेखक ने हिंदू धर्म के बुनियादी सिद्धांतों को उत्कृष्ट ढंग से समझाने का प्रयास किया और जीवन, आध्यात्मिकता और आत्म-अन्वेषण के लिए अपने समग्र दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है। इसका उद्देश्य पाठकों को आध्यात्मिकता और धर्म से परिचय करना है, विशेष रूप से भारत के युवाओं और प्रवासी भारतीय को। यह धर्म और आत्म-साक्षात्कार के गूढ़ विषय को स्पष्ट करने का प्रयास करता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चाओं में अकसर भ्रांति और जटिलता में ग्रसित रहता है। पुस्तक का मुख्य संदेश यह है कि धर्म और आत्म-साक्षात्कार व्यक्ति के लिए, स्वम् को समझने और दिन-प्रतिदिन के जीवन के अनुभवों को सुखद एवं हितकारी बनाने के लिए आवश्यक हैं। लेखक का उद्देश्य युवाओं, विशेष रूप से हिंदू युवाओं, का अपने व्यक्तित्व के आध्यात्मिक आयाम का पता लगाना, आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया को सरल बनाना और इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है।
