White Paper By Modi Government: यूपीए सरकार के कुप्रबंधन के खिलाफ मोदी सरकार ने पेश किया श्वेत पत्र, कहा – यूपीए ने अच्छी अर्थव्यवस्था को बनाया नॉन परफॉर्मिंग

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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार में लोकसभा में यूपीए सरकार के शासन के दौरान हुए कुप्रबंधन के खिलाफ श्वेत पत्र सदन के पटल पर रख दिया है। इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन का जिक्र किया गया है जिसमें भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके निगेटिव इम्पेक्ट के बारे में बिस्तार से बात की गई है। साथ ही इस श्वेत पत्र में उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की गई है।

दरअसल अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ये इस बात का जिक्र किया था कि वो जल्द ही यूपीए सरकार की कुव्यवस्थाओं के खिलाफ एक श्वेत पत्र सदन में लेकर आएंगी और गुरुवार को उन्होंने इसे पेश भी कर दिया। मोदी सरकार द्वारा इस श्वेत पत्र को लाने की मंशा ये थी कि सदन के सामने सरकार इस बात को रखना चाहती थी कि 2014 से पहले देश कहां था और अब देश कहां खड़ा है? साथ ही उन कुप्रबंधनों से सबक सिखना भी सरकार का मकसद है।

आपको बता दें कि 2014 से पहले तक देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी और 2014 से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है। मौजूदा सरकार के आने के बाद जहां दुनियाभर में भारत का डंका बजा है तो वहीं अर्थव्यवस्था में भी भारत आज दुनियाभर में 5वें स्थान पर है और कुछ समय बाद तीसरे स्थान पर भी पहुंचने की उम्मीद है।

लोकसभा में श्वेत पत्र पेश करने के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी लेकिन तात्कालिन सरकार ने इसे नॉन परफॉर्मिंग बना दिया। आंकड़ों पर सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि 2004 में जब यूपीए सरकार ने कार्यभार संभाला था तो उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था 8 फीसदी की दर से बढ़ रही थी। लेकिन धीरे धीरे वो बदतर होती चली गई। श्वेत पत्र में इस बात का जिक्र किया गया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट पर यूपीए सरकार द्वारा जारी किया गया राजकोषिय प्रोत्साहन उस वक्त की समस्या से भी नीचले स्तर पर थे।

वित्त मंत्री ने श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों का भी जिक्र किया। जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला प्रमुख था। इसके अलावा श्वेत पत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लापरवाही भरा लोन, गैर लक्षित सब्सिडी और कई क्षेत्रों में गैर-पारदर्शी निलामी व्यवस्था का भी जिक्र किया गया है।

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