PM Modi in Japan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के आमंत्रण पर 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। यह दौरा आर्थिक सहयोग, निवेश, एआई और सेमीकंडक्टर साझेदारी को नई ऊंचाई देगा।
टोक्यो/नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर टोक्यो पहुंच चुके हैं। वे जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के आमंत्रण पर आयोजित 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को नई दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा पर कहा कि इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और जापान की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और सशक्त बनाना है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा— “टोक्यो पहुंच गया हूं। भारत और जापान अपने विकासात्मक सहयोग को और मजबूत कर रहे हैं। मैं इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री इशिबा और अन्य प्रतिनिधियों के साथ बातचीत को लेकर उत्सुक हूं, ताकि मौजूदा साझेदारियों को मजबूत किया जा सके और सहयोग के नए अवसर तलाशे जा सकें।”
11 वर्षों में रिश्तों की मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 11 वर्षों में भारत-जापान संबंध लगातार गहरे हुए हैं। इस दौरान आर्थिक सहयोग, निवेश और आधारभूत ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। अब दोनों देश भविष्य की प्रौद्योगिकियों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर उद्योग और डिजिटल नवाचार में साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करेंगे।

मोदी की 8वीं जापान यात्रा
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का यह जापान का आठवां दौरा है। वे आखिरी बार मई 2023 में जापान गए थे। उनसे पहले डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान जापान की सबसे अधिक तीन यात्राएं की थीं। यह तथ्य भी दर्शाता है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत-जापान संबंध कितने सक्रिय और सशक्त हुए हैं।

वार्षिक शिखर सम्मेलन का महत्व
भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच एक प्रमुख कूटनीतिक तंत्र है। इसके तहत न केवल सुरक्षा और रक्षा सहयोग, बल्कि व्यापार, निवेश, हरित ऊर्जा, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भी गहन वार्ताएं होती हैं। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में यह दौरा विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भारत और जापान दोनों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अहम साझेदार हैं। इस यात्रा से उम्मीद है कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक सहयोग के नए अध्याय खुलेंगे और दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों से निपटने की दिशा में मजबूत भूमिका निभाएंगे।